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लेखनी प्रतियोगिता -06-Jul-2022

मंज़िल

तू है तो मेरी मंजिलें है
तू नहीं तो साहिल भी मेरे नही
ये सफर तेरे संग इतना प्यारा है 
अब मंजिल मिले या न मिले,ये भी फिक्र नही

मेरी मंजिल उसी तरफ है
जहां रास्तों का मुड़ना भी लिखा हुआ है
कर रहा हूं सफर फासलो को कम करने के लिए
फिर तेरा मेरा साथ का छूटना भी लिखा हुआ है 

मंजिलें आवाज़ दे रही है
रास्तों का कारवां है
दिल में उमंगे बह रही है
बस तुझसे मिलने का फासला है

मंजिलों का इंतजार भी है
रास्तों का सफर भी सुहाना है
सफर में साथ गुजरा हुआ लम्हा
वो संसार ही मेरा सारा है 

ये मंजिलें भी होगी मेरी
गर रास्तों का काफ़िला मेरा है
उन बादलों से ऊपर भी कोई जहान होगा
तो वो जहान भी मेरा है

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12 Comments

Seema Priyadarshini sahay

08-Jul-2022 09:05 PM

Nice 👍

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Shrishti pandey

07-Jul-2022 09:29 AM

Nice

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Abhinav ji

07-Jul-2022 08:25 AM

Nice

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